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Success Story: बहराइच की गीता देवी ने कमल के तने से डलिया, दउरी, गिफ्ट आइटम बनाकर गरीबी को मात दी है. थारू जनजाति की महिलाएं भी इस काम में शामिल हैं. उनके उत्पाद सरकारी दफ्तरों और बाजार में धूम मचा रहे हैं.

कमल के डंठल से बना हुआ बैग!
बहराइच: जिले में महिलाएं जमकर धूम मचा रही हैं. विभिन्न जंगली चीजों से महिलाएं तरह-तरह की चीज बना देती हैं. बहराइच जिले की रहने वाली महिला गीता इन दिनों काफी चर्चा में है. वह कमल के डंठल से तरह-तरह के इस्तेमाल में लाए जाने वाली वस्तुएं बड़े आराम से बना कर तैयार कर देती हैं. जैसे साग, सब्जी लाने के बैग, डलिया और भी बहुत सारी सामग्री.
कमल के तने से गरीबी को दी मात!
यूपी के बहराइच में महिलाओं ने कमल के तने से से अपनी गरीबी को मात दी है. यहां महिलाएं इससे डलिया, दउरी, गिफ्ट आइटम समेत अन्य सामान बनाकर बाजार के साथ कई जगह बेच रहीं हैं. इसकी डिमांड भी मार्केट में काफी बढ़ गई है, जिससे महिलाओं को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.
थारू जनजाति की महिलाएं करती हैं तैयार
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. बहराइच की गीता देवी के लिए ये सिर्फ शब्द मात्र नहीं हैं. गीता ने अपने हौसलों के दम पर न सिर्फ गरीबी को मात दी, बल्कि उनकी जैसी कई महिलाओं को भी इन्होंने इस काम में माहिर किया है. इसके लिए उन्होंने किसी बड़ी कंपनी या उपकरणों का सहारा नहीं लिया. उन्होंने गरीबी के दिनों को दूर करने के लिए अपने हाथ से तलाबों में उगने वाली मामूली से कमल के तने को हथियार बना लिया. आज गीता के साथ उनकी जैसी करीब दर्जनों महिलाएं सिर उठाकर अपना जीवन जी रहीं हैं. यहां तक की उनके बनाए उत्पाद सरकारी दफ्तरों से लेकर मार्केट में धूम मचा रहे हैं.
गीता अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के मिहिपुरवा स्थित फकीरपूरी ग्राम में रहती हैं. उन्होंने बताया कि परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते वह काफी परेशान रहती थी. इसके बाद उन्होंने आजीविका मिशन का नाम सुना और स्वयं सहायता समूह से खुद को जोड़ा. यहां उन्होंने मूंज (सरकंडा) यानी खेतों में उगने वाली सरपत घास के साथ कमल के तने से हुनर सीखा. इससे उन्होंने डलिया, दउरी, गिफ्ट बॉक्स, हाथ का पंखा समेत अन्य सामान बनाना सीखा और आज इनको बनाकर बिक्री कर अच्छा पैसा कमा रही है. गीता ने बताया कि कमल के तने से यह सामग्री बनाने के लिए सबसे पहले तालाब से कमल के डंठल को लाकर इसको सुखाती हैं और फिर सूख जाने के बाद इसको फिर से पानी में भिगोकर नरम कर लेती हैं और फिर इसको गूथ कर अलग-अलग आकार देकर सामग्री बड़े आराम से बना लेती हैं.