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Mirzapur Intermediate Topper: यूपी में मिर्जापुर की आरोही दुबे ने इंटरमीडिएट परीक्षा में 91.8% अंक प्राप्त कर जिला टॉप किया है. आरोही के पिता ड्राइवर और मां गृहणी हैं. छात्रा आरोही ने बताया कि वह सेल्फ स्टडी और…और पढ़ें

मिठाई खिलाते परिजन
हाइलाइट्स
- आरोही दुबे ने इंटरमीडिएट में जिला टॉप किया.
- आरोही को 91.8 प्रतिशत अंक मिले.
- आरोही सिविल परीक्षा की तैयारी करेंगी.
मिर्जापुर: कहते हैं कि जब वक्त अनुकूल नहीं हो तो मोटिवेशनल स्पीच सुनने की जरूरत नहीं पड़ती है. परिस्थितियों को देखकर ही टूटता आत्मविश्वास पहाड़ पर चढ़ने लगता है. यूपी बोर्ड रिजल्ट आने के बाद एक ऐसा ही टूटता आत्मविश्वास इस तरह पहाड़ पर चढ़ा कि सारे लोग पीछे छूट गए. मिर्जापुर जिले के सीखड़ के गौरेया गांव की रहने वाली आरोही दुबे ने इंटरमीडिएट की परीक्षा में जिला टॉप किया है. आरोही को 91.8 प्रतिशत अंक मिले हैं.
मिर्जापुर के गौरैया गांव की रहने वाली आरोही दुबे सीखड़ के श्री शंकराश्रम महाविद्यापीठ इंटर कॉलेज में अध्यनरत हैं. आरोही के पिता संजय दुबे ड्राइवर है. मां नीतू देवी गृहणी है. परिवार की स्थिति बेहतर नहीं होने पर आरोही ने बचपन से ही ठान लिया था कि आगे चलकर बड़ा करना है. हाईस्कूल में आरोही दुबे को 91 प्रतिशत अंक मिले थे. हाईस्कूल के बाद इंटर में टॉप करने के लिए भी आरोही ने जीतोड़ मेहनत की, जहां 91.8 प्रतिशत अंक मिले हैं. इंटरमीडिएट की परीक्षा में 459 अंक पाकर आरोही ने जिला टॉप किया है.
पिता ने बढ़ाया हौसला
आरोही दुबे ने लोकल 18 से बताया कि पहले स्कूल और कोचिंग के बाद घर पर तीन से चार घंटे तक पढ़ाई की. स्कूल से पूरा सहयोग मिला. परिवार से पूरा सहयोग मिलता था. मां और पिता हमेशा हौसला अफजाई करते थे. इसी की बदौलत सफलता मिली है. सफलता के पीछे का राज डिसिप्लिन सबसे ज्यादा है. कुछ बच्चे शुरू में 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते हैं. समय के साथ एकाग्रचित होकर पढ़ाई नहीं करते हैं. हमने सेल्फ स्टडी पर ज्यादा ध्यान दिया था.
आगे करेंगे सिविल की तैयारी
आरोही ने बताया कि जिला टॉप करने को लेकर कोई अनुमान नहीं था. हालांकि स्कूल में प्री परीक्षा में हमें इतना ही अंक प्राप्त हुए थे. मुझे उम्मीद थी कि 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक मिलेंगे. हमें और बेहतर तैयारी किया और बहुत खुशी है कि टॉप किए है. आगे चलकर ग्रेजुएशन करना है और सिविल परीक्षा की तैयारी करनी है.
सोशल मीडिया से दूरी
आरोही ने बताया कि सोशल मीडिया से हमने दूरी बनाकर रखते थे. फोन का प्रयोग सिर्फ पढ़ाई और जरूरी कामों के लिए करते थे. मेरे पिता सबसे ज्यादा पढ़ाई के लिए सपोर्ट करते हैं. मेरे रोलमॉडल वही हैं. उन्होंने हमें पढ़ाने के लिए पूरी कोशिश की है. उनके लिए हमें कुछ ऐसा करना है कि आगे चलकर उन्हें ड्राइविंग का काम नहीं करना पड़े. मैं हमेशा यहीं सोचती हूं.
बिटिया पर है फ्रक
आरोही की मां नीतू ने बताया कि हमें बहुत अच्छा लग रहा है. हमने नहीं सोचा था कि हमारी बिटिया इतना आगे जाएगी. पढ़ाई देखकर उम्मीद थी कि कुछ बेहतर करेगी. मेरे लिए पढ़ाई और काम दोनों जरुरी है. काम के साथ ही बिटिया जिम्मेदारी से पढ़ाई की. हम हमेशा कहते थे कि हम लोगों से ऊपर जाओ. यहां सीमित में मत रहिए.