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गुमरो गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। दूसरे रात्रि कार्यक्रम में नवदीप निवासी सुप्रसिद्ध कथावाचक आलोक शास्त्री महाराज ने कथा का महात्म्य बताया। उन्होंने कहा कि कलिकाल में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण अत्यंत आवश्यक और लाभकारी है।
यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भगवान का प्रतिरूप है। कथा जीव को भवसागर से पार कराने का सशक्त साधन है। आलोक शास्त्री महाराज ने कहा कि आज मानव जीवन में संकट, तनाव और विकट परिस्थितियां व्याप्त हैं। ऐसे समय में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण आंतरिक शांति, श्रद्धा और भक्ति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा ज्ञान का स्रोत ही नहीं, मोक्ष का द्वार भी है। इसके श्रवण से जीव के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे ईश्वर के सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त होता है। कथा के दौरान शास्त्री महाराज ने आत्माराम और धुंधली की कथा का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि आत्माराम और धुंधली के दो पुत्र हुए- गोकर्ण और धुंधकारी। धुंधकारी ने गलत मार्ग अपनाया और पापकर्मों में लिप्त हो गया। मृत्यु के बाद उसकी आत्मा भटकती रही। गोकर्ण ने भाई के उद्धार के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा श्रवण से धुंधकारी की आत्मा को शांति मिली। भगवान ने पुष्पक विमान भेजकर उसे अपने चरणों में स्थान दिया।
कथा स्थल पर बड़ी संख्या में उमड़ी भीड़ आलोक शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा साधारण ग्रंथ नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है। यह जीवन के हर संकट का समाधान प्रस्तुत करती है। मानव को धर्म, भक्ति और मोक्ष के पथ पर अग्रसर करती है। इसी कारण आज भी श्रीमद्भागवत कथा करोड़ों श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति का संचार करती है। कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। भक्तिमय वातावरण में श्रोता कथा का रसास्वादन कर रहे थे। आयोजन गुमरो निवासी आशुतोष झा, कृष्णानंद झा और समस्त ग्रामीणों की ओर से किया गया। श्रद्धालुओं के बैठने, वाहन स्टैंड सहित सभी व्यवस्थाएं की गईं। आयोजकों ने बताया कि आगामी दिनों में कथा का समापन भव्य भजन संध्या और महाप्रसाद के साथ किया जाएगा।