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Home Decoration Items: बीरभूम की महिलाएं ऊन से स्वेटर और घर सजाने के सामान बनाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं. मुनमुन मजूमदार 12 साल से यह काम कर रही हैं और 12 महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं.

बीरभूम की महिलाएं ऊनी कपड़ों से आत्मनिर्भर बन रही हैं.
हाइलाइट्स
- बीरभूम की महिलाएं ऊनी कपड़ों से आत्मनिर्भर हो रही हैं.
- मुनमुन मजूमदार 12 महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं.
- ऊनी कपड़ों से महिलाओं की शानदार कमाई हो रही है.
बीरभूम: आजकल लोगों के पास समय बहुत कम है. ऊन से कपड़े बनाने का इतना समय अब कहां? घर में बुने हुए ऊनी कपड़े अब बहुत कम ही दिखते हैं. शायद लोगों के पास अब समय कम है. रास्ते में ट्रैफिक से लेकर मानसिक तनाव और ऑफिस का दबाव. समय कहां है समय बर्बाद करने का? देश में तैयार कपड़ा उद्योग के उभार ने कम कीमत पर गर्म कपड़े खरीदने का मौका भी दे दिया है. सड़क किनारे ठेलों पर ही मनपसंद सर्दी के कपड़े मिल रहे हैं. कौन अब एक स्वेटर के लिए एक महीने का इंतजार करेगा? हालांकि बाजार में ऊनी कपड़ों की मांग कम नहीं हुई है; बल्कि समय के साथ बढ़ी है.
शानदार कमाई रही है
इसी ऊन से स्वेटर और विभिन्न घर सजाने के सामान बनाकर बीरभूम की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं . अपने परिवार और घर के काम संभालते हुए ऊन के धागे से स्वेटर, कभी चादर, तो कभी दरवाजे और खिड़कियों के पर्दे से लेकर विभिन्न घर सजाने के सामान बना रही हैं. इन सभी घर सजाने के सामान बनाकर आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ महिलाओं की शानदार कमाई भी हो रही है.
बनगांव की निवासी मुनमुन मजूमदार ऊन के धागे से विभिन्न घर सजाने के सामान से लेकर विभिन्न कपड़े बना रही हैं. और हफ्ते के शनिवार को बोलपुर सोनाझुरी के हाट में उन्हें बेच रही हैं. मुनमुन का घर बोलपुर शांतिनिकेतन में है लेकिन काम के सिलसिले में वह बनगांव में रहती हैं. मुनमुन से वर्तमान में 12 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही हैं.
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लगभग 12 साल से वह यह काम कर रही हैं.
मुनमुन ने बताया कि क्लास सात से ही वह ऊन के धागे से विभिन्न घर सजाने के सामान बना रही हैं. लेकिन पेशेवर रूप से लगभग 12 साल से वह यह काम कर रही हैं. उनके अनुसार, वर्तमान में महिलाओं का आत्मनिर्भर होना अत्यंत आवश्यक है और इसी कारण उन्होंने यह कदम उठाया है. आने वाले दिनों में उनकी इच्छा है कि और भी महिलाओं को अपने दल में शामिल कर प्रशिक्षण दें.