Last Updated:
आंध्र प्रदेश की जमीलिया नैचुरल रंगों से हैंडलूम कपड़े बनाती हैं. ‘संकल्प आर्ट विलेज’ ब्रांड चलाती हैं. प्रोडक्ट डिज़ाइन की पढ़ाई की है. महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता सिखाती हैं.

आंध्र प्रदेश जमीलिया
हाइलाइट्स
- जमीलिया नैचुरल रंगों से हैंडलूम कपड़े बनाती हैं.
- जमीलिया ‘संकल्प आर्ट विलेज’ ब्रांड चलाती हैं.
- जमीलिया महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता सिखाती हैं.
दिल्ली: भारत के हर कोने में कोई न कोई हुनर छिपा होता है – कोई कलाकार, कोई कहानी, या फिर कोई ऐसा काम जो लोगों को इंस्पायर कर दे. आंध्र प्रदेश की एक छोटे से गांव में रहने वाली जमीलिया की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. एक साधारण परिवार में पली-बढ़ी जमीलिया हमेशा कुछ अलग करना चाहती थीं. जहां ज़्यादातर महिलाएं घर तक ही सीमित रहती थीं, वहीं जमीलिया ने ठान लिया था कि उन्हें कुछ नया सीखना है और अपनी पहचान बनानी है.
जमीलिया का काम बिलकुल अलग है. वो फूलों, पत्तियों, बीजों और पेड़ों से नैचुरल रंग बनाती हैं और इन्हीं रंगों से हैंडलूम कपड़ों को रंगती हैं. इन रंगों में कोई केमिकल नहीं होता, इसलिए ये कपड़े पूरी तरह इको-फ्रेंडली होते हैं. न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि त्वचा के लिए भी ये कपड़े बिल्कुल सुरक्षित होते हैं. पहनने में आरामदायक और देखने में बेहद खूबसूरत.
डिजाइनर भी है जमीलिया
लोकल 18 से बातचीत में जमीलिया ने बताया कि उन्होंने प्रोडक्ट डिज़ाइन की पढ़ाई भी की है. यही वजह है कि उनके बनाए डिज़ाइनों में एक खास आकर्षण होता है. जमीलिया ‘संकल्प आर्ट विलेज’ (Sankalpa Art Village) नाम से अपना खुद का ब्रांड चलाती हैं, जिसमें हैंडलूम से बने बच्चों और बड़ों दोनों के कपड़े मिलते हैं. खास बात ये है कि उनके सारे कपड़े स्किन-फ्रेंडली होते हैं और गर्मियों के लिए तो और भी परफेक्ट हैं क्योंकि वो आंध्र कॉटन से बने होते हैं – हल्के, मुलायम और पूरी तरह हैंडमेड.
महिलाओं को दे रही हैं रोजगार
जमीलिया का सफर सिर्फ उन तक ही सीमित नहीं है. अब वे अपने साथ दूसरी महिलाओं को भी जोड़ चुकी हैं. वे उन्हें सिखाती हैं कि कैसे नैचुरल डाई बनती है, कैसे हैंडलूम पर कपड़ा बुना जाता है, और कैसे नए डिज़ाइन तैयार किए जाते हैं. इससे उन महिलाओं को न केवल रोजगार मिलता है, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास भी मिलता है.