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Women In Politics: बिहार के गया जिले की एक बहू डॉली की कहानी महिला सशक्तिकरण की मिसाल है. गया के मानपुर प्रखंड अंतर्गत शादीपुर पंचायत के रूपसपुर गांव की रहने वाली बहू डॉली कुमारी इस पंचायत की सरपंच हैं. डॉली कु…और पढ़ें

महिला सरपंच ने ग्राम कचहरी का डिजिटलाइजेशन कर नया अध्याय रच दिया है.
हाइलाइट्स
- डॉली कुमारी ने शादीपुर पंचायत में न्यायिक व्यवस्था को मजबूत किया
- डॉली को सशक्त महिला का अवार्ड मिल चुका है
- डॉली ने ग्राम कचहरी का डिजिटलाइजेशन किया
गया. बिहार के गया जिले की एक बहू डॉली की कहानी महिला सशक्तिकरण की मिसाल है. गया के मानपुर प्रखंड अंतर्गत शादीपुर पंचायत के रूपसपुर गांव की रहने वाली बहू डॉली कुमारी इस पंचायत की सरपंच हैं. डॉली कुमारी ने शादीपुर पंचायत में न्यायिक व्यवस्था को इस कदर मजबूती लायी कि आज वह ब्रांड के तौर पर देखी जाती हैं. इस इलाके के लोग अब थाने में नहीं जाना चाहते. ग्राम कचहरी की न्यायिक व्यवस्था का विश्वास ग्रामीणों के बीच इस कदर बढ़ा है, कि जटिल से जटिल मामले इस ग्राम कचहरी में चंद दिनों में निपट जाते हैं. डॉली को गया डीएम के अलावे कई सामाजिक और राजनैतिक संस्था से इन्हें सशक्त महिला का अवार्ड भी मिल चुका है.
‘नो टू सरपंच पति कल्चर’ का आगाज
डॉली ने अपने पंचायत में एक अभियान चला रखा है जिसमें ‘नो टू सरपंच पति कल्चर’ है और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना निर्णय दिया है. अक्सर देखा जाता था कि पंचायत चुनाव में महिला के जीतने के बाद उसके पति, देवर या ससुर उनके जगह पर काम करते थे और महिलाओं को सशक्त बनाने से रोका जाता था लेकिन कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है कि अब इस तरह का मामला सामने आने पर उन पर कारवाई की जाएगी या पेनल्टी लगाया जाएगा. इस फैसला के आने के बाद डॉली बेहद खुश है और इनका मानना है कि अब महिलाएं सशक्त बनेगी और अपने स्तर से निर्णय ले पाएगी.
डिजिटल ग्राम कचहरी की पहल
गौरतलब हो कि सरकार जहां ग्रामीण इलाकों में डिजिटलाइजेशन की सोच रही है उससे पहले ही इस महिला सरपंच ने उसे जमीन पर उतार दिया. इस महिला सरपंच ने ग्राम कचहरी का डिजिटलाइजेशन कर नया अध्याय रच दिया है. सब कुछ सुविधा यहां ग्राम कचहरी में मौजूद होती है. सारे काम कंप्यूटरीकृत होते हैं. लिखित की कॉपी जरूर रेकॉर्ड में रहती है, लेकिन तमाम सुनवाई और दस्तावेज, आवेदन ऑफलाइन के अलावे ऑनलाइन भी रखे जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि किसी विवाद के मामले को लेकर डॉली दोनों पक्षों से खुद बात करती हैं. पेचीदे मामलों में दोनो पक्ष के घर पर भी जाती हैं खुद बात करती हैं.
एयर होस्टेस की नौकरी छोड़ राजनीति में एंट्री
इससे पहले डाॅली दिल्ली में एयरलाइंस में काम करती थी. एयरलाइंस में कुछ दिनों तक वह एयर होस्टेस का काम किया. कुछ ही दिनों में ही यह इसके बाद टिकटिंग में काम करने लगीं, अच्छी खासी सैलरी थी. डॉली कुमारी ने गुरुग्राम के फ्रैंकलीन इंस्टीट्यूट से एयर होस्टेस की ट्रेनिंग का कोर्स किया. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से बीएससी और शादी के बाद पुणे से एमबीए किया. 2014 में शादी के बीच डॉली ने एयर होस्टेस का काम किया.
मैदान में अकेली महिला प्रत्याशी
रूपसपुर रहने वाले फिल्ममेकर धर्मवीर भारती के साथ इनकी शादी हो गई. कुछ वर्ष बाद अचानक उनकी सरपंच सास नीलम देवी का निधन हो गया. 2018 में सरपंच पद के लिए मध्यवाधि चुनाव हुआ, तो उसमें वह उतर गईं. उनके सामने सात पुरुष उम्मीदवार थे. वह अकेली महिला मैदान में थीं. पहली बार वह चुनाव लड़ रही थीं. 149 वोटों से चुनाव जीत लिया. सारे पुरुषों को चित करते हुए उन्होंने यह चुनाव जीता था. अच्छी सोच मृदु भाषा और कुछ कर गुजरने का जज्बा ने डॉली को सरपंच बना दिया था.
थाने के बजाय ग्राम कचहरी में आने लगे 90% से अधिक मामले
सरपंच का चुनाव जीतने के बाद डॉली ने अच्छे काम करने शुरू कर दिए. विवादों को ऐसे निपटाती थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो. इस महिला सरपंच के न्यायिक फैसले से लोगों में संतुष्टि आने लगी थी. वहीं, ग्राम कचहरी को इस सरपंच ने मजबूत किया. निपटारे ज्यादा होने से थाने में मामले कम जाने लगे. लोगों ने थाने की ओर रुख करना छोड़ दिया. 90% से अधिक मामले थाने के बजाय ग्राम कचहरी में आने लगे. उसका निपटारा त्वरित तौर पर होने लगा. इसके बाद 2021 का चुनाव आया तो इस चुनाव में सरपंच डॉली ने 1500 से अधिक वोटों से सामने वालों को चित कर दिया