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‘Drone Didi’ Success Story: सूरत की पायलबेन पटेल ने ड्रोन ऑपरेटर बनकर 36 गांवों में कीटनाशक छिड़काव से 2 साल में 5.50 लाख रुपये कमाए. उन्होंने पुणे में ट्रेनिंग ली और सरकारी सहायता से उपकरण प्राप्त किए.

‘ड्रोन दीदी’ बन 2 साल में कमाए 5.50 लाख रुपये
हाइलाइट्स
- पायलबेन पटेल ने ड्रोन ऑपरेटर बनकर 5.50 लाख रुपये कमाए.
- पायलबेन ने 36 गांवों में कीटनाशक छिड़काव किया.
- पायलबेन ने पुणे में 15 दिनों की ट्रेनिंग ली.
सूरत: कुछ नया करने की सोच और उसे करने का जुनून हो तो कोई भी व्यक्ति को रोक नहीं सकता और इसका उदाहरण सूरत की एक महिला बनी हैं. सूरत जिले के ओलपाड तालुका के छोटे से गांव ईशनपुर से निकली पायलबेन पटेल आज ड्रोन दीदी के नाम से जानी जाती हैं. उन्होंने साबित कर दिया है कि तकनीक और आत्मनिर्भरता के साथ ग्रामीण जीवन में बदलाव आ सकता है.
पायलबेन ने सूरत की गर्ल्स पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा इन कमर्शियल प्रैक्टिस की पढ़ाई की और फिर एक निजी कंपनी में नौकरी की. वहां वे अकाउंट विभाग में प्रति माह 12 हजार रुपये कमा रही थीं. उस नौकरी को छोड़कर उन्होंने तकनीक के क्षेत्र में कदम रखा और नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत ड्रोन ऑपरेटर के रूप में अपने व्यवसाय की शुरुआत की.
सिर्फ सात मिनट में होता है दवा का छिड़काव: पायल पटेल
ड्रोन दीदी बनने के लिए पायल पटेल ने 2023 में पुणे में 15 दिनों की स्पेशल ट्रेनिंग ली. इस ट्रेनिंग में उन्होंने ड्रोन उड़ाने, संचालन और उसके नियमों के बारे में तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया. इतना ही नहीं, इस ट्रेनिंग से पहले IFFCO द्वारा इंटरव्यू और लिखित परीक्षा पास करने के बाद उन्हें सरकारी सहायता के तहत 15.30 लाख रुपये के उपकरणों में मध्यम ड्रोन, ई-व्हीकल टेम्पो और जनरेटर मुफ्त में प्राप्त हुए.
5.50 लाख रुपये से अधिक की कमाई की
पायलबेन ने ओलपाड तालुका के 5 या 10 नहीं बल्कि 36 से अधिक गांवों में खेती के फसलों में ड्रोन द्वारा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया है. सिर्फ दो साल में उन्होंने 5.50 लाख रुपये से अधिक की कमाई की है, जो उनकी पिछली नौकरी से कई गुना ज्यादा है. वे घर के कामकाज, पति और चार साल की बेटी की जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी कार्यक्षमता और निष्ठा से तकनीक के साथ सुचारू रूप से तालमेल बिठा रही हैं.
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लोकल 18 से बात करते हुए ड्रोन दीदी पायलबेन पटेल ने कहा, “ड्रोन ऑपरेट करना अत्यंत जिम्मेदारी भरा काम है. खेत का नक्शा ड्रोन में फीड करके कंपास कैलिब्रेशन द्वारा सटीकता से ड्रोन को निर्धारित क्षेत्र में उड़ाना पड़ता है. ड्रोन मशीन से दवा के छिड़काव से समय, दवा और पानी की बचत होती है और खासकर ऊंचे फसलों जैसे गन्ने की फसल में यह तकनीक बहुत प्रभावी साबित हुई है. एक एकड़ जमीन पर सिर्फ सात मिनट में छिड़काव हो जाता है.”