Last Updated:
हिमाचल के राहुल आचार्य ने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया से पासआउट होकर लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया. सैनिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले राहुल की पढ़ाई सैनिक स्कूल सुजानपुर और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से हुई. उन…और पढ़ें

लेफ्टिनेंट राहुल आचार्य
हाइलाइट्स
- हिमाचल के राहुल आचार्य ने लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया है.
- सैनिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले राहुल की पढ़ाई सैनिक स्कूल से हुई है.
- उनके चयन से परिवार और गांव में जश्न का माहौल है.
कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के साथ- साथ वीरभूमि भी कहा जाता है. यहां के युवाओं के रगों में देशभक्ति बसती है और हर दूसरा घर देश की सेवा के लिए जवान तैयार करता है. इस धरती ने शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर सुधीर बालियान और कैप्टन सौरभ कालिया जैसे वीर योद्धाओं को जन्म दिया है, जिनके बलिदान को आज भी पूरा देश नमन करता है. इसी कड़ी में बटालियन अंडर ऑफिसर राहुल आचार्य का नाम जुड़ गया है. जिन्होंने 11 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया (बिहार) से पासआउट होकर लेफ्टिनेंट बनकर अपने परिवार, गांव और हिमाचल का नाम रोशन किया है.
राहुल आचार्य की शिक्षा और सफर
राहुल आचार्य हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल की खड़ानाल पंचायत से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने 6वीं से 12वीं तक की पढ़ाई सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा से की. इसके बाद उन्होंने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर से सिविल इंजीनियरिंग (B.Tech) की डिग्री हासिल की. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सेना में जाने का सपना देखा और एनआईटी हमीरपुर में M.Tech के दौरान SSC (तकनीकी कोर्स) के लिए चयनित हुए. फिर उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया (बिहार) में कड़ी ट्रेनिंग पूरी की और अब कोर ऑफ इंजीनियर्स में अपनी सेवाएं देंगे.
परिवार की तीसरी पीढ़ी का सेना में योगदान
राहुल के पिता अनुज आचार्य एक भूतपूर्व सैनिक और लेखक हैं. वह अपने बेटे की इस सफलता से बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राहुल बचपन से ही पढ़ाई में होशियार और सेना में जाने के लिए जुनूनी थे. उनकी मेहनत, लगन और जज्बे ने उन्हें आज यह मुकाम दिलाया है. सबसे खास बात यह है कि राहुल अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो भारतीय सेना का हिस्सा बनी है.
गांव में जश्न का माहौल
राहुल आचार्य की सफलता की खबर से उनके गांव और परिवार में जश्न का माहौल है. हिमाचल के वीर सपूतों की सूची में एक और नाम जुड़ने से पूरा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है. राहुल ने न केवल अपने माता-पिता बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है. उनका यह सफर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो देश सेवा का सपना देखते हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए मेहनत कर रहे हैं.