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Bihan Yojna: फजरुनिशा और ताहरुनिशा ने बिहान योजना से स्वावलंबन की मिसाल पेश की. लोन लेकर फोटो कॉपी, ईंट निर्माण और किराना दुकान शुरू की. बीमारी के दौरान भी योजना ने मदद की, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हुईं.

फजरूनिशा और तहरूनिशा दो आत्मनिर्भर बहनें
हाइलाइट्स
- फजरुनिशा और ताहरुनिशा ने बिहान योजना से स्वावलंबन की मिसाल पेश की
- बिहान योजना से लोन लेकर फोटो कॉपी, ईंट निर्माण और किराना दुकान शुरू की
- कोरोना काल में भी बिहान योजना ने आर्थिक मदद की, जिससे वे सशक्त हुईं
अंबिकापुर.आज़ पूरा देश अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है, महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन की विभिन्न योजनाएं संचालित हो रही हैं. इन योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं, महिला दिवस पर ऐसी ही दो बहनों की जोड़ी ने महिला सशक्तिकरण और स्वावलंबन की दिशा में एक मिसाल पेश की है. उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता और उद्यमिता से आज अन्य महिलाएं प्रेरित हो रही हैं.
बिहान योजना से आया सकारात्मक बदलाव
जिले के लखनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत कटिंदा में रहने वाली दो बहनें फजरुनिशा और ताहरुनिशा आज आर्थिक आत्मनिर्भरता के कारण लखपति दीदी के रूप में जानी जाती हैं. फजरुनिशा ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके पिता कपड़ा सिलाई का काम करते थे, लेकिन गांव में आमदनी कम होने के कारण घर चलाना मुश्किल था. 2016 में दोनों बहनों ने महिलाओं के साथ मिलकर बिहान योजना से जुड़कर ‘जीवन दीप स्व सहायता समूह’ बनाया. पहली बार लोन लेकर उन्होंने फोटो कॉपी का काम शुरू किया. इससे मिली आमदनी से उनका हौसला बढ़ा और समूह के माध्यम से फिर लोन लेकर खेत में बोर कर ईंट बनाने का काम शुरू किया. इससे उन्हें अच्छी आमदनी हुई.
बिहान योजना में ये है स्पेशल
बिहान योजना ने महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है. फजरुनिशा ने बताया कि 2022 में कोरोना काल के दौरान उनकी बहन ताहरुनिशा को कोविड हो गया था. इसी दौरान फजरुनिशा की तबीयत भी बिगड़ी और जांच कराने पर पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का तीसरा स्टेज चल रहा है, उन्हें लगा कि अब सब कुछ खत्म हो जाएगा. लेकिन उनकी बहन ने उन्हें हौसला दिया,जब पैसों की जरूरत थी, तब बिहान योजना उनके लिए संजीवनी बन गई. समूह के माध्यम से उन्होंने करीब 80 हजार रुपए का लोन लिया और इलाज के लिए बड़े शहर गए. इलाज के दौरान जब पैसे खत्म होने के कगार पर थे, तब आयुष्मान कार्ड ने उनकी मदद की. इससे उनका इलाज संभव हुआ और आज वह पूरी तरह स्वस्थ हैं.
स्व-सहायता समूह से लोन लेकर चला रही हैं किराना दुकान
फजरुनिशा ने बताया कि सरकार की बिहान योजना ने महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाया है,आज बिहान की वजह से वह आर्थिक रूप से सशक्त हो पाई हैं. उन्होंने एक लाख रुपए का लोन लेकर किराना दुकान शुरू की है, जो अच्छा चल रहा है, साथ ही उन्होंने कबूतर पालन का काम भी शुरू किया है. इन सभी स्रोतों से मिलकर महीने में 10 से 15 हजार रुपए की शुद्ध बचत हो रही है. अब उन्हें आर्थिक तंगी से जूझना नहीं पड़ता. फजरुनिशा ने कहा कि उनकी बीमारी के दौरान उनकी बहन और बिहान योजना ने उनका साथ दिया, जिसके बदौलत वह आज जिंदा हैं. उन्होंने शासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी दी है.