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Business Story: संतोष गुप्ता ने 2017 में 10 हजार रुपये से मोटा अनाज का बिजनेस शुरू किया. आज वे 6 महिलाओं को रोजगार देते हुए पटना, सारण और मुजफ्फरपुर में प्रोडक्ट्स सप्लाई कर रहे हैं. अनाज की सप्लाई से उनकी पूरी…और पढ़ें

संतोष गुप्ता अपने लोगो के साथ काम करते हुए
हाइलाइट्स
- संतोष गुप्ता ने 2017 में 10 हजार रुपये से बिजनेस शुरू किया.
- आज वे पटना, सारण और मुजफ्फरपुर में प्रोडक्ट्स सप्लाई कर रहे हैं.
- संतोष गुप्ता 6 महिलाओं को रोजगार देकर हर महीने 3 लाख रुपये कमा रहे हैं.
वैशाली. कहते हैं कि मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती. इस बात को संतोष गुप्ता ने सच कर दिखाया है. वह चिटफंड कंपनी के चक्कर में फंसकर बर्बाद हो गए थे. वैशाली जिले के मीनापुर गांव के रहने वाले संतोष गुप्ता ने पढ़ाई खत्म करने के बाद एक दोस्त के कहने पर चिटफंड कंपनी में जुड़ गए. कंपनी के लालच में उन्होंने घर का पैसा और सब कुछ बर्बाद कर दिया.
बाबा रामदेव से लिया आइडिया
लेकिन 2017 में उन्होंने बाबा रामदेव के बारे में पढ़ा और देखा कि बाबा रामदेव पहले पुड़िया बनाते और बेचते थे. आज बाबा रामदेव के कई प्रोडक्ट्स मार्केट में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. संतोष ने सोचा कि वे भी शुद्ध और स्वादिष्ट प्रोडक्ट्स बनाकर मार्केट में बेच सकते हैं.
धीरे-धीरे रंग लाई मेहनत
2017 में उन्होंने जमीन गिरवी रखकर 10 हजार रुपये लिए और उससे मोटा अनाज खरीदकर सत्तू और आटा बनाकर पैक किया. फिर साइकिल से हाजीपुर शहर के मोहल्लों में बेचना शुरू किया. शुरुआत में लोग उनके प्रोडक्ट्स नहीं खरीदते थे और उन्हें भगा देते थे. लेकिन एक साल तक संघर्ष करने के बाद, धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई.
मोटे अनाज के 20 से 30 प्रोडक्ट्स की होम डिलीवरी
घर के सभी लोग संतोष गुप्ता के इस अभियान में जुट गए और आज संतोष गुप्ता वैशाली ही नहीं, बल्कि सारण, पटना और मुजफ्फरपुर में भी मोटे अनाज के 20 से 30 प्रोडक्ट्स की होम डिलीवरी कर रहे हैं. दुकानदार भी उनके घर से आसानी से प्रोडक्ट्स ले जाते हैं.
प्रति महीने तीन लाख रुपये का टर्नओवर, महिलाओं को भी रोजगार
आज संतोष गुप्ता अपने परिवार के साथ 6 महिलाओं को भी रोजगार दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले वे चिटफंड कंपनी में काम करते थे और 2015 तक सब कुछ बर्बाद कर दिया था. लेकिन 2017 में 10 हजार रुपये लेकर भुजा, आटा और सत्तू पैक कर घर-घर सप्लाई करना शुरू किया. एक साल तक काफी परेशानी हुई, लेकिन फिर लोगों को उनका प्रोडक्ट पसंद आने लगा. दो साल के भीतर उन्होंने वैशाली जिले के सभी इलाकों में अपना प्रोडक्ट सप्लाई करना शुरू कर दिया. आज वे 6 महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं और प्रति महीने तीन लाख रुपये का टर्नओवर है.