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एक वक्त जहां हिंदू-मुस्लिम की खबरें हर जगह छाई हुई हैं. वहीं दूसरी ओर आगरा के बेलनगंज क्षेत्र में स्थित ‘बड़े हनुमान-काली मंदिर’ का मंदिर इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए चर्चा में बना हुआ है. यहां भगवान हनुमान …और पढ़ें

बड़े हनुमान जी का मंदिर
आगरा: ताजनगरी में यमुना किनारे एक ऐसा अनोखा मंदिर स्थित है जो देश में सांप्रदायिक सौहार्द और सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल पेश कर रहा है. आगरा के बेलनगंज क्षेत्र में स्थित यह मंदिर ‘बड़े हनुमान-काली मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है, जहां भगवान हनुमान और मां काली की मूर्तियों के साथ-साथ कुरान की आयतें भी मंदिर परिसर की दीवारों पर अंकित हैं. करीब 75 साल पहले इस मंदिर की स्थापना संत नरसिंह दास निरमोही ने की थी.
दीवालों पर लिखी है कुरान की आयतें
मंदिर के पुजारी अनिल बताते है कि उन्होंने मंदिर के बाहर स्थित पीपल के पेड़ के नीचे सिद्धि प्राप्त की थी और वहीं काली माता और महाबली हनुमान की प्रतिमाएं स्थापित की थीं. खास बात यह है कि उस समय से ही न सिर्फ हिंदू भक्त बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस मंदिर में आते रहे हैं और कुरान की आयतें पढ़ते रहे हैं.
हर धर्म के लिए खुले दरवाजे
इस मंदिर में जहां भक्त हनुमान चालीसा और आरती का पाठ करते हैं. वहीं दीवारों पर कुरान की आयतें भी लिखीं हुई हैं. मंदिर परिसर की दीवारों पर अरबी में ‘सूरा इखलास’ की आयतें उकेरी गई हैं, जिसमें अल्लाह की एकता और सच्चाई का उल्लेख है. साथ ही एक अन्य पत्थर पर उर्दू में ‘हमेशा सच बोलो’ की सीख दी गई है, जो सभी धर्मों के मूल्यों को दर्शाता है. कबीर के दोहे लिखे हैं.
आस्था का केंद्र बना मंदिर
यह मंदिर सिर्फ आगरा ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां सिर झुकाता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. यह स्थान गंगा-जमुनी तहजीब का एक जीवंत उदाहरण है, जहां धर्म की दीवारें नहीं, इंसानियत की डोर लोगों को जोड़े रखती है. बड़े हनुमान-काली मंदिर आज सांप्रदायिक एकता और भाईचारे का प्रतीक बनकर उभर रहा है, जो इस बात का प्रमाण है कि जब आस्था और इंसानियत एक साथ चलें, तो समाज में कोई दीवार खड़ी नहीं हो सकती.