बुजुर्ग इंद्रा को अपने साथ घर ले गए बेटी-दामाद।
‘हमें वायरल वीडियो से पता चला था कि हमारी सास वाराणसी के कबीरचौरा अस्पताल के वार्ड नंबर-4 में एडमिट हैं। हम उन्हें लेने आये हैं। अब उन्हें सकुशल घर वापस कानपुर ले जा रहे हैं। अब हम दोनों से ऐसी गलती कभी नहीं होगी। यदि कुछ हुआ तो उसकी जिम्मेदारी हम दो
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ये इबारत उस लेटर की है जो इंद्रा देवी के दामाद ने कबीरचौरा अस्पताल से अपनी सास को वापस कानपुर ले जाते समय पुलिस को दिया है। दामाद आकाश ने सभी से क्षमा मांगी और पत्नी रंजीता के साथ उन्हें लेकर कानपुर रवाना हो गया।

बुजुर्ग महिला इंद्रा के दामाद ने पुलिस को लिखित सहमति पत्र दिया है।
इंद्रा देवी को रविवार को रंजीता और उसके दोनों बेटे और ड्राइवर मणिकर्णिका घाट वाराणसी पर छोड़कर फरार हो गए थे। इसपर मंगलवार को मणिकर्णिका घाट के सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता की पहल पर समाजसेवी अमन कबीर ने उन्हें कबीरचौरा मंडलीय चिकित्सालय में एडमिट कराया था। जिसके बाद एक पोस्ट की थी।
दैनिक भास्कर ने इस मामले को कानपुर और वाराणसी से कवर किया। जिसके बाद बुधवार को ही बेटी और दामाद कबीरचौरा अस्पताल पहुंचे और मां से क्षमा मांगी थी। उनकी सेहत में सुधार के बाद उन्हें गुरुवार की शाम कानपुर ले गए।

दैनिक भास्कर की खबर के बाद कानपुर से बुजुर्ग इंद्रा को लेकर वाराणसी पहुंचे थे बेटी और दामाद।
रंजीता ने कहा था गलती हो गई कानपुर में जब दैनिक भास्कर इंद्रा देवी के घर पहुंचा था तो उनकी बेटी रंजीता ने कहा था। हमने कोई गलती नहीं की। उनकी जिद से हम तंग आ गए थे। हम उन्हें आश्रम में छोड़कर आये हैं। वहीं जब वाराणसी पहुंची तो यहां सुर बदले हुए थे। रंजीता ने अपनी गलती की क्षमा मांगी और कहा क्या करूं उस दिन बहुत परेशान थी और गुस्से में मां को यहां लाकर छोड़ गयी थी।

बेटी रंजीता ने कहा था- उस दिन गुस्से में थी। गलती हो गई।
अमन कबीर ने ढूंढने की खाई थी कसम समाजसेवी अमन कबीर जब महिला से मिले तो वो बोल नहीं रहीं थीं। सफाई सुपर वाइजर सतीश कुमार गुप्ता ने उनका एक वीडियो बनाया था। इसे पोस्ट कर उन्होंने कसम खाई थी कि बुजुर्ग महिला के परिजनों को खोज के रहेंगे। इसके बाद दामाद और बेटी अस्पताल पहुंचे। अमन ने बताया- महिला की हालत में सुधार होने के बाद उनकी बेटी और दामाद उन्हें लेकर कानपुर के लिए रवाना हो गए हैं।

काशी के समाजसेवी अमन कबीर ने बुजुर्ग को उसके परिवार से मिलाने की कसम खाई थी।
अब जानिए रविवार की शाम को क्या हुआ और किसने सबसे पहले वाराणसी में बुजुर्ग महिला इंद्रावती को देखा…
मणिकर्णिका घाट पर रहने वाले राजू ने सबसे पहले देखा मणिकर्णिका घाट पर अपने दोस्त की दुकान पर रोजाना आने वाले राजू ने बताया-रविवार की शाम हम अपने दोस्त गणेशू की दुकान पर रोजाना की तरह बैठे थे।
उसी समय एक महिला, एक पुरुष और दो बच्चे एक दादी को व्हीलचेयर पर लेकर आए। जो बेसुध दिख रहीं थीं। घाट किनारे व्हीलचेयर लगाकर उन्हें उतारा और पत्थर की टेक लगाकर बैठा दिया। इसके बाद उनका मुंह धुलाया।

घाट किनारे रहने वाले राजू ने सबसे पहले देखा था बुजुर्ग महिला इंद्रा को।
20 मिनट बाद नजर पड़ी तो अकेले थीं दादी राजू ने बताया-15-20 मिनट बाद नजर पड़ी तो दादी अकेले बैठी मिलीं। हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया। सोचा कि यात्री हैं साथ के लोग दर्शन को गए होंगे। ये बुजुर्ग हैं चल नहीं पा रही होंगी इसलिए नहीं गयी।
वहां वो लोग भी नहीं थे जो उन्हें व्हीलचेयर पर लाए थे। न ही व्हीलचेयर थी। इसके बाद राटा हुई फिर भी कोई उन्हें लेने नहीं आया। हम लोग उनके पास पहुंचे तो वो कुछ बोल नहीं पाईं। बेसुध हाल में पड़ी रहीं। इसके बाद रात हुई और घाट पर सन्नाटा हो गया।
सोमवार की सुबह घाट के लोगों ने उसे वहीं देखा। घाट के सफाई सुपरवाइजर सतीश कुमार गुप्ता ने उनसे नाम-पता पूछा तो वो कुछ बोली नहीं। फिर उन्होंने अपनी महिला सफाई कर्मियों से उनसे बात करने को कहा तो वो शौच के लिए गईं। जहां वो खूब रोईं।
अब जानिए सतीश से क्या बातचीत की बुजुर्ग इंद्रावती ने …
देखने के बाद रोने लगीं थीं इंद्रावती सतीश ने बताया-सुबह जब हम अपनी टीम के साथ घाट पर पहुंचे, तो बुजुर्ग महिला जिसके पैर में चोट लगी थी। उससे हमने कुछ जनाना चाहा तो वो कराह रही थी।
और कुछ कहना चाह रही थी। जिस पर महिला कर्मचारियों ने उससे बात पूछी तो उसने शौच जाने की बात कही।

सफाई सुपराइजर सतीश गुप्ता ने बुजुर्ग महिला को अमन कबीर की मदद से अस्पताल में कराया था भर्ती।
बेटी-दामाद लेकर आए थे काशी सतीश ने बताया-जब उन्हें हमने दर्द की दवा दी तो वो थोड़ा रिलैक्स हुईं। इस पर हमने उनसे बातचीत की तो उन्होंने बताया वो कानपुर के पटकापुर की रहने वाली हैं।
हमने पूछा लड़का है तो बोली नहीं एक लड़की और दामाद हैं और कोई नहीं है। उनकी एक आंख में मोतियाबिंद हैं। महिला के पास से एक बैग और एक झोला भी मिला है। जिसमें उसकी गिलास और प्लेट के अलावा कटोरी, चम्मच और कपड़े हैं। बैग में एक भी रुपया नहीं है।
पूछने पर भी नहीं बताया बेटी का नाम सतीश ने बताया-हमने उनसे पूछा कि आप की बेटी का नाम क्या है? तो उन्होंने कुछ नहीं बताया और उनकी आंखों से आंसू छलक उठा। जब हमने कहा कि आप को घर पहुंचा देंगे तो वो खामोश हो गईं और फिर कुछ नहीं बताया। उन्होंने बस अपने पति का नाम राजकुमार बताया।