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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित अटल सभागार में श्री कृष्णा संध्या का आयोजन किया गया. जिसमें पावन चिंतन धारा आश्रम के आध्यात्मिक गुरू डॉ पवन सिन्हा ने मेरठ सहित देश में घट रही विभिन्न प्रकार की …और पढ़ें

पवन सिन्हा
हाइलाइट्स
- माता-पिता और शिक्षकों को रिश्तों का महत्व समझाना चाहिए
- संयुक्त परिवारों में बच्चों को सही-गलत की समझ मिलती थी
- विवाह से पहले बच्चों की सहमति लेना आवश्यक है
मेरठ:- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में पावन चिंतन धारा आश्रम तथा तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में श्री कृष्णा संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें पावन चिंतन धारा आश्रम के गुरु डॉक्टर पवन सिन्हा भी पहुंचे. जहां उन्होंने आजकल समाज में जिस तरीके की घटनाएं सामने आ रही हैं, उस अपने विचार रखे.
दरअसल भारतीय सनातन संस्कृति में पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों का बंधन माना जाता है, लेकिन आज के समय में मेरठ समेत कई जगहों पर पति-पत्नी के रिश्तों में जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, उसे लेकर समाज में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं, लोग भी चिंता में हैं. ऐसे में लोकल-18 की टीम ने पावन चिंतन धारा आश्रम के विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरु डॉ. पवन सिन्हा से खास बातचीत की, इस दौरान उन्होंने जो कहा वह आपको जरूर सुनना चाहिए.
रिश्तों के महत्व को समझाने की है जरूरत
डॉ पवन सिन्हा ने कहा, कि जिस तरह से वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार की घटनाएं घटती जा रही हैं. वह समाज के लिए काफी चिंतन का विषय हैं. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए माता-पिता और शिक्षकों को अपनी भूमिका निभानी होगी. आगे वे कहते हैं, भले ही हम युवाओं को अच्छी शिक्षा प्राप्त करा रहे हों, लेकिन उन्हें रिश्तों का महत्व समझाने में हम काफी पीछे हो गए हैं. इसी कारण आज का युवा पाश्चात्य संस्कृति के साथ तालमेल बिठाते हुए आगे बढ़ रहा है. मेरठ की घटनाओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा, कि आज नारी शक्ति हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर खड़ी हो रही है. ऐसे में जो आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं, वे भी इसी बदलाव की ओर इशारा करती हैं. इसलिए अब समाज के हर वर्ग को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, ताकि दोनों ओर से कोई आपराधिक गतिविधि न हो
संयुक्त परिवार है भारतीय संस्कृति
डॉ. पवन सिन्हा ने कहा, कि हमारी भारतीय संस्कृति और परंपराओं में जिन बातों का उल्लेख किया गया है, वे समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने बताया कि पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे, जहां दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों को कहानियों के माध्यम से न सिर्फ अपराध से दूर रहने की सीख देते थे, बल्कि रिश्तों का महत्व भी समझाते थे. इसी कारण पहले लोग विपरीत परिस्थितियों में भी अपने रिश्तों को मजबूती से निभाते थे, लेकिन आज के समय में हम एकल परिवारों की ओर बढ़ते जा रहे हैं, जिससे हम अपने बच्चों को सही-गलत की समझ ठीक से नहीं दे पा रहे हैं
सहमति हो तभी करें विवाह
डॉ पवन सिन्हा ने वर्तमान समय में वैवाहिक रिश्तों की टूटी डोर को देखते हुए भी अभिभावकों से भी एक अपील करते हुए कहा, कि आप बच्चों से वैवाहिक रिश्ते तय करने से पहले अच्छे से बातचीत करें, क्योंकि अगर उन्हें लगता है कि उनके बच्चे अपनी मनपसंद की शादी करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए अनुमति प्रदान करें. क्योंकि जब उन पर दबाव डाला जाता है, तब वह शादी तो कर लेते हैं, लेकिन उस रिश्ते की अहमियत नहीं समझ पाते. जिस कारण समाज में विभिन्न प्रकार की ऐसी घटनाएं आती हैं. साथ ही उन्होंने कहा अगर युवा भी माता-पिता से अपनी बात नहीं कर पाते हैं औप उनकी शादी कर दी जाती है, तो दोनों को ही अपने इस रिश्ते की अहमियत को समझते हुए उसे साथ आगे निभाना चाहिए.
आपको बता दें, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में पावन चिंतन धारा आश्रम एवं तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में श्री कृष्णा संध्या का आयोजन किया गया था. जिसमें पावन चिंतन धारा आश्रम के गुरु डॉक्टर पवन सिन्हा भी पहुंचे थे.
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