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जा ए चंदा ले आव खबरिया कईसन बाड़ी मोर जान हो…जैसे कई भोजपुरी गाने गाकर मशहूर हुए गायक व अभिनेता रितेश पांडे को लोग काफी पसंद करते हैं. रितेश का जन्म बिहार के रोहतास जिले के करगहर गांव में हुआ है, लेकिन कुछ व…और पढ़ें

सिंगर और अभिनेता रितेश पांडेय ने बताई अपनी रोचक कहानी
हाइलाइट्स
- रितेश पांडेय का जन्म बिहार के रोहतास जिले में हुआ.
- रितेश ने महात्मा काशी विद्यापीठ से म्यूजिक में ग्रेजुएशन किया.
- गरीबी को मात देकर रितेश ने बड़ी कामयाबी हासिल की.
बलिया: जिले के रेवती में आए मशहूर सिंगर और अभिनेता को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ गई. यह वही भोजपुरी अभिनेता है, जिनके कई गाने बड़े स्तर पर वायरल हुए हैं. आज भी इनके गाने को खूब पसंद किया जाता है. बिल्कुल सही सुना आपने.. हम बात कर रहे हैं रितेश पांडेय की जिनके पुराने गाने को सुनने के लिए श्रोता बेताब रहते हैं. मंच पर चढ़ने के बाद इस सिंगर की आवाज में श्रोता डूब जाते हैं. बलिया के एक कार्यक्रम के दौरान रितेश पांडेय ने लोकल 18 के दर्शकों को अपने संदर्भ में कुछ खास जानकारी दी है. आइए जानते हैं…
मशहूर सिंगर और अभिनेता रितेश पांडेय ने कहा कि उनका जन्म बिहार के रोहतास जिले के करगहर गांव में हुआ है, लेकिन बाल्यावस्था में ही रितेश के पिता जी पूरे परिवार के साथ काशी आ गए”. यहीं पर रितेश की पूरी पढ़ाई लिखाई हुई. आज इनका परिवार बनारस में ही रहता है. उन्होंने कहा कि वो कभी नहीं सोचे थे इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर पाएंगे.
म्यूजिक से किया था ग्रेजुएशन
रितेश पांडेय ने कहा कि वो शुरू से ही ईश्वर पर भरोसा करते थे. भगवान पर विश्वास करते हुए इन्होंने जमकर संघर्ष किया. गायन के क्षेत्र में रितेश का शुरू से ही लगाव था. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान रितेश को गायिकी में अपनी भविष्य दिखाई दी. तो फिर इन्होंने महात्मा काशी विद्यापीठ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई म्यूजिक से ही संपन्न की.
रितेश पांडेय ने सुनाया अपना सबसे वायरल गाना
लोकल 18 के दर्शकों को रितेश पांडे ने अपना सबसे मशहूर गाना सुनाया जो इस प्रकार है – जाहिया चल गईली छोड़ी के हमके, जिनगी भईल सुनसान हो… की जा ए चंदा ले आव खबरिया कईसन बाड़ी मोर जान हो… मंच पर चढ़ने के बाद एक बार श्रोता इस गाने को सुनने को बेताब होते हैं. इसके अलावा पियवा से पहिले हमार रहलू जैसे अनेक गाने वायरल हुए. इसके बाद तो रितेश की चर्चा देश दुनिया में होने लगी. बलिया में आए रितेश पांडेय को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी.
संघर्ष से दी गरीबी को मात
उन्होंने कहा कि संघर्ष ही जीवन है और सुख क्षणिक है, दुख लंबे समय का साथी है. सालों प्रयास के बाद मिली कामयाबी की खुशी कुछ दिन तक रहती है, लेकिन इसके बाद बड़ी कामयाबी के लिए आदमी प्रयास करने लगता है. उन्होंने कहा कि उनके परिवार मध्यम वर्गीय में भी लोअर था. रितेश पांडे जी के पिता एक किसान हैं. लेकिन आप रितेश पांडेय की स्थिति बदल चुकी है.