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Indian Railways- कानपुर स्टेशन में प्लेटफार्म पर तीन बच्चे बैठे थे. आरपीएफ जवान गश्त कर रहे थे. जवानों को देखकर तीनों बच्चे आंखें चुराने लगे. इन तीनों के पास बैग थे. जवान भागकर इनके पास गए. करीब देखकर तीन…और पढ़ें

सांकेतिक फोटो
कानपुर. उत्तर मध्य रेलवे के कानपुर स्टेशन में प्लेटफार्म पर तीन बच्चे बैठे थे. आरपीएफ जवान गश्त कर रहे थे. जवानों को देखकर तीनों बच्चे आंखें चुराने लगे. इन तीनों के पास बैग थे. जवान भागकर इनके पास गए. करीब देखकर तीनों सिर झुकाकर खड़े हो गए. इनके बैग की जांच की गयी, बैग में ऐसा कुछ मिला, सभी लोग दंग रहे गए. भारतीय रेलवे ऐसे बच्चों के लिए अभियान चला रहा है.
रेलवे सुरक्षा बल ऑपरेशन ‘नन्हें फरिश्ते’ के माध्यम रेलवे परिसर एवं ट्रेनों में बच्चों की सुरक्षा एवं सहायता के लिए लगातार अभियान चलाती है. इसी अभियान के तहत रेलवे सुरक्ष बल/ कानपुर अनवरगंज के उप निरीक्षक स्टेशन पर गश्त पर थे. प्लेटफार्म संख्या 2/3 पर शेड के पास 3 बच्चों को संदिग्ध हालत में देखा. आरपीएफ के जवान को देखते हुए वे सहम गए. उप निरीक्षक द्वारा पूछने बच्चों ने बताया कि वह अपने घर से भाग कर आए हैं. इनके पास बरामद बैग की जांच की गयी. कुछ किताबें मिलीं. बच्चे स्कूल के बहाने घर से निकलें और भागकर कानपुर पहुंच गए.
पूछताछ में बच्चों ने अपने नाम जिशांत (उम्र -14 वर्ष), (उम्र- 13 वर्ष) और मोहम्मद हैप्पी आलम (उम्र -10 वर्ष) बताया. तीनों गढ़वा, झारखंड के रहने वाले हैं. आरपीएफ ने तीनों से उनके परिजनों के फोन नंबर लिए और परिजनों को फोन कर सूचना दी. साथ्ज्ञ ही रेलवे सुरक्ष बल, कानपुर द्वारा बच्चों को छलील लाइन कानपुर सौंप दिया गया. जिससे आवश्यक कार्रवाई करके जल्द से जल्द बच्चों को परिजनों से मिलवाया जा सके.
एक साल में 621 बच्चों को मिलवाया
प्रयागराज डिवीजन में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा साल 2023-24 में 347 और साल 2024-25 के दौरान 621 बच्चों को ट्रेनों, रेलवे परिसर से बचाकर उनके परिजनों, एनजीओ, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी सौंपा गया है.